संस्कारो की संस्कार होने से कैसे बचाए !
हरियाणा में एक सभा में अध्यक्षा संबोधित करते हुई बोल पड़ी :- हमें (महिलाओं को ) शालीन ड्रेस पहनना चाहिए / वश ! क्या था ? कथित उग्र भावनाएं भड़क उठी/ मेहमान (मुख्य मंत्री जी ) को हस्तक्षेप करना पड़ा/ अध्यक्षा को नम्रता के साथ शीश झुकना करना पडा/
हरियाणा राज्य क़ि दो घटनाएँ : (लुधियाना, पंचकुला, ओर हिस्सार,) यहाँ के लोग अपने आप में मोडर्न है,नक़ल करने और फांसी पर लटकने पर )
सच का सामना (सीरियल) : पंचकुला और लुधियाना की दो परिवार उजाड़ गए / एक का पत्नी फंसी
लगा ली और दूसरे की पति फांसी पर लटक गए /
उत्तर प्रदेश : (कानपुर,लखनऊ इलाहाबाद तथा गौतम बुद्धनगर)
इन जिलो में सीरियल के नक़ल पर कई परिवार बिखर गए/ पत्नी की ह्त्या कर दी गई /
जी टी०वी० : स्टार प्लस, कलर्स., जी.टी.वी , उत्सव ,सोनी आदि केवल महिलाओं के लिए ही सीरियल बनाती आ रही है / इस सीरियल से परिवार के सदस्यों (पति - पत्नी) में विक्षोभ उतपन्न होता है/ इस सीरियल में बेवजह चक्र -कुचक्रो का समावेश रहता है/
काफी ऐसे सीरियल है जिससे परिवारिक संतुलन बिगड़ रही है/ फिल्म की उदंडता तो चरम सीमा पर है /
संस्कार दूकानों में नहीं मिलती / संस्कार फिल्म देखने से नहीं मिलती है/ अगर हम पुराने जमाने क़ि फिल्म क़ि बाते करे तो उस समय में भी वही फिल्म सामाजिक मर्यादाओं को कुचल रही थी / आज फिल्म क़ि जो आवारागर्दी का बीज है / उसी युग क़ि नायक , नायिका और निदेशक है/
फिल्म में तो कहानी का नाम भी नहीं सोचा जा सकता है / सीरियल में तो कोई बात ही नही / सीरियल के कहानीकार तो एक पेज में अनाप-सनाप लिख कर दर्शको को पडोसते है/
मैंने कई जगह देखा है की सीरियल देखने से पहले खाना बन जाती है / सीरियल शुरू होने से पहले ही परिवार सहित चैनल के पास बैठ जाते है / लोग बाग़ एक साथ सीरियल देखते है/ मजा भी लेते रहते है/
इस अवस्था में कोशिश करना चाहिए :-
भागदौड़ की जिन्दगी में लोग शान्ति चाहते है / मगर उन्हें नहीं मिलती है क्योंकि इस जिन्दगी में उच्च श्रीखलता रग- रग में समावेश है/
शांति के खोज में ही लोग बाबा के शरण में जाते है जिनकी कीर्तिमान प्रति दिन स्थापित हो रही है/ इस तरह अपनी संस्कार को भूल कर फ़िल्मी संस्कार को अपना रहे है/ संस्कार इतना विलीन हो चुका है की बेटा बाप (हिस्सार)को कुल्हाड़ी से मारता है और बाप बेटी से दुष्कर्म (महम) करता है/ इस घटनाओं में निरंतरता बनी हुई है/ सोचा जा सकता है की पुरे देश में एक दिन में कितने पिता की ह्त्या और दुष्कर्म होते होंगे/
गुरु दुर्लभ :-
वर्तमान में कोई ऐसे गुरु नहीं है जो गुरुतत्व से अवगत है/ अन्धकार से प्रकाश की ओर लाने में गुरु के रूप में मान्यवर वेद व्यास जी ने जो दीक्षा, विश्व को दिए / अब वह दुर्लभ है/
उपाय : अगर संभव हो तो परिवार के साथ सिर्फ और सिर्फ आधा घंटा वेद मंत्र का श्रवण करे / उसका गान करे/ उस पर मंथन करे/ तो संभत: कंही जाने क़ि जरुरत नहीं है / बेशक हम पूजा पाठ न करे/ हम अपने ही परिवार के पढने वाले बच्चे से इस ग्रन्थ का श्रवण करे/ शायद कुछ परिवर्तन होगा/
पूर्व के चाल- चलन में परिवर्तन देख खुद आपके सामने वाले नक़ल करना चाहेगे/ आप के परिवार उन्हें सहयोग करे/ अगर सामने वाले के घर में कोई पढ़ा नहीं है तो अपने ही घर में नियत समय पर बुला लीजिये/
धीरे- धीरे स्वत: परिवर्तन होने लंगेगे/
जो बच्चे "शीला और मुनिया पर थिड़कते" आदि होंगे वही इससे घृणा करने लगेंगे/
सिर्फ 30 मिनट पाठ का श्रवण करे /सिर्फ ३० स्तोत्र का पाठ करे/ फिर सोचे / उन्हें अपने ही घरो में शांति मिलने लगेगी/ आज कर तो वेद भी हिंदी में मिलते है/ तो फिर उपेक्षा क्यों ? परिवार के संस्कार में बदलाव आने लगेगी/ इसी मार्ग हम संस्कारों को संस्कार होने से बचा सकेंगे/
खुद जो टॉप लेस के समर्थन में है वे स्वयं ही उपदेशक बनाने लेंगेंगे/
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