Wednesday 20 June 2012


संस्कारो की संस्कार होने से कैसे बचाए   !
हरियाणा में एक सभा में अध्यक्षा संबोधित करते हुई बोल पड़ी :- हमें (महिलाओं को ) शालीन ड्रेस पहनना चाहिए / वश ! क्या था ? कथित उग्र भावनाएं भड़क उठी/ मेहमान (मुख्य मंत्री जी ) को हस्तक्षेप करना पड़ा/ अध्यक्षा को  नम्रता के साथ शीश झुकना  करना पडा/

हरियाणा राज्य क़ि दो घटनाएँ : (लुधियाना, पंचकुला, ओर हिस्सार,) यहाँ के लोग अपने आप में  मोडर्न है,नक़ल करने और फांसी पर लटकने पर )

सच का सामना (सीरियल)  : पंचकुला और लुधियाना की दो परिवार उजाड़ गए / एक का पत्नी फंसी 
                                            लगा ली और दूसरे की पति  फांसी पर लटक गए /

उत्तर प्रदेश   :      (कानपुर,लखनऊ  इलाहाबाद तथा गौतम बुद्धनगर)
                   इन जिलो में सीरियल के नक़ल पर कई परिवार  बिखर गए/ पत्नी की ह्त्या कर दी गई / 

जी टी०वी०     :   स्टार प्लस,  कलर्स., जी.टी.वी , उत्सव ,सोनी आदि   केवल   महिलाओं के लिए ही   सीरियल  बनाती आ रही है / इस सीरियल से परिवार के सदस्यों  (पति - पत्नी)  में विक्षोभ उतपन्न होता  है/  इस सीरियल में बेवजह चक्र -कुचक्रो का समावेश रहता है/ 

काफी ऐसे सीरियल है जिससे परिवारिक संतुलन बिगड़ रही  है/ फिल्म की उदंडता तो चरम सीमा पर है / 

संस्कार दूकानों में नहीं मिलती / संस्कार फिल्म देखने से नहीं मिलती है/ अगर हम पुराने जमाने क़ि फिल्म क़ि बाते करे तो उस समय में भी वही फिल्म सामाजिक मर्यादाओं को कुचल  रही थी / आज फिल्म क़ि जो आवारागर्दी का  बीज है /  उसी  युग क़ि नायक , नायिका और निदेशक  है/ 
फिल्म में  तो कहानी का नाम भी नहीं सोचा जा सकता है / सीरियल में तो कोई बात ही नही / सीरियल के कहानीकार तो एक पेज में अनाप-सनाप लिख कर दर्शको को पडोसते है/

मैंने कई जगह देखा है की सीरियल देखने से पहले खाना बन जाती है /  सीरियल शुरू होने से पहले ही  परिवार सहित  चैनल के पास बैठ जाते है  / लोग बाग़ एक साथ सीरियल देखते है/ मजा भी लेते रहते है/ 

इस अवस्था में   कोशिश करना चाहिए :- 

भागदौड़  की  जिन्दगी में लोग शान्ति चाहते है / मगर उन्हें नहीं मिलती है  क्योंकि इस जिन्दगी में उच्च श्रीखलता रग- रग में समावेश है/ 

शांति  के खोज में ही लोग बाबा के शरण में जाते है जिनकी कीर्तिमान प्रति दिन स्थापित हो रही है/  इस तरह अपनी संस्कार को भूल कर फ़िल्मी संस्कार को अपना रहे है/  संस्कार इतना विलीन हो चुका है की बेटा बाप (हिस्सार)को कुल्हाड़ी से मारता है और बाप बेटी से दुष्कर्म (महम) करता है/ इस घटनाओं में निरंतरता बनी हुई है/ सोचा जा सकता है की पुरे देश में एक दिन में कितने पिता की  ह्त्या और दुष्कर्म होते होंगे/ 

गुरु दुर्लभ :- 
वर्तमान में कोई ऐसे गुरु नहीं है जो गुरुतत्व से अवगत है/  अन्धकार से प्रकाश की ओर लाने में गुरु के रूप में मान्यवर वेद व्यास जी ने जो दीक्षा, विश्व को दिए  / अब वह दुर्लभ है/ 

उपाय  : अगर संभव हो तो परिवार  के साथ सिर्फ और सिर्फ आधा घंटा वेद मंत्र का श्रवण करे / उसका गान करे/ उस पर मंथन करे/  तो संभत: कंही जाने क़ि  जरुरत नहीं है / बेशक हम  पूजा पाठ न करे/ हम अपने ही परिवार के पढने वाले बच्चे से इस ग्रन्थ का श्रवण करे/ शायद कुछ परिवर्तन होगा/ 

पूर्व के चाल- चलन में परिवर्तन देख खुद आपके सामने वाले नक़ल करना चाहेगे/ आप के परिवार उन्हें सहयोग करे/ अगर सामने वाले के घर में कोई पढ़ा नहीं है तो अपने ही घर में नियत समय पर बुला लीजिये/ 
धीरे- धीरे स्वत: परिवर्तन होने लंगेगे/ 
 जो बच्चे "शीला और मुनिया पर थिड़कते"  आदि होंगे वही इससे घृणा करने लगेंगे/  

सिर्फ 30 मिनट पाठ का श्रवण करे /सिर्फ ३० स्तोत्र का पाठ करे/  फिर सोचे / उन्हें अपने ही घरो में शांति मिलने लगेगी/ आज कर तो वेद भी हिंदी में मिलते है/ तो फिर उपेक्षा क्यों ?  परिवार के  संस्कार में बदलाव आने लगेगी/  इसी मार्ग हम संस्कारों को संस्कार होने से बचा सकेंगे/
खुद जो टॉप लेस के समर्थन में है वे स्वयं  ही उपदेशक बनाने लेंगेंगे/ 


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