90 वर्षो के बाद राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के किसी प्रबल दावेदार ने पूर्ण बहुमत से दिल्ली की सिहासन पर विराजित हो रहे है। यह एक ऐतिहासिक परिणाम है।
यह स्थिति आज से 67 वर्ष पहले ही आनी चाहिए थी , क्यों नहीं आ सकी ? क्योंकि -
- शिशु अवस्था में स्वाधीनता काल ।
- जनता अचेतनशील ।
- सत्ता और राजनीति में कोई दिलचस्पी नहीं ।
- जनता इससे दूर ।
- मतदाताओ का थोक विक्रेता के रूप में , उस क्षेत्र के जमींदार और रंगदार ।
लेकिन परिवर्तन हुआ :
शिक्षा का विकास हुआ।
प्रचार संधान में मीडिया और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया ने स्तम्भ के रूप में काम किया।
-हर हाथ में मोबाइल और हर कान में सन्देश।
-हर घर में शिक्षा और हाथ में दीक्षा।
- राजनीतिक जागरण , सामाजिक उत्थान ।
- न जाति पर अभिमान और ना धर्म पर स्वाभिमान.
- केवल राष्ट्र व राष्ट्रीयता पर अभिमान।
तंग जनता, दंग जनता :
- आपराधिक सांसद और आपराधिक सांसदों की सरकार।
- सुप्रीम कोर्ट बार -बार अपमान।
- अपराधियो के लिए चुनाव लड़ने के लिए कानून।
- मुद्रा आतंकवाद और उद्योगपतियों को लूटने का खुला छूट।
- जनता असुरक्षित।
यह स्थिति आज से 67 वर्ष पहले ही आनी चाहिए थी , क्यों नहीं आ सकी ? क्योंकि -
- शिशु अवस्था में स्वाधीनता काल ।
- जनता अचेतनशील ।
- सत्ता और राजनीति में कोई दिलचस्पी नहीं ।
- जनता इससे दूर ।
- मतदाताओ का थोक विक्रेता के रूप में , उस क्षेत्र के जमींदार और रंगदार ।
लेकिन परिवर्तन हुआ :
शिक्षा का विकास हुआ।
प्रचार संधान में मीडिया और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया ने स्तम्भ के रूप में काम किया।
-हर हाथ में मोबाइल और हर कान में सन्देश।
-हर घर में शिक्षा और हाथ में दीक्षा।
- राजनीतिक जागरण , सामाजिक उत्थान ।
- न जाति पर अभिमान और ना धर्म पर स्वाभिमान.
- केवल राष्ट्र व राष्ट्रीयता पर अभिमान।
तंग जनता, दंग जनता :
- आपराधिक सांसद और आपराधिक सांसदों की सरकार।
- सुप्रीम कोर्ट बार -बार अपमान।
- अपराधियो के लिए चुनाव लड़ने के लिए कानून।
- मुद्रा आतंकवाद और उद्योगपतियों को लूटने का खुला छूट।
- जनता असुरक्षित।